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Bharatvarsh Ke Aakrantaon Ki Kalank Kathayen | Saga Of Courage, Sacrifice And Patriotism Against Mughal Empire + Sambhaji Maharaj Chhava | Bravery Story Of Chattarpati Shivaji Maharaj's Son Set Of 2 Books In Hindi(Paperback, Hindi, Medha Deshmukh Bhaskaran, Parshuram Gupt) | Zipri.in
Bharatvarsh Ke Aakrantaon Ki Kalank Kathayen | Saga Of Courage, Sacrifice And Patriotism Against Mughal Empire + Sambhaji Maharaj Chhava | Bravery Story Of Chattarpati Shivaji Maharaj's Son Set Of 2 Books In Hindi(Paperback, Hindi, Medha Deshmukh Bhaskaran, Parshuram Gupt)

Bharatvarsh Ke Aakrantaon Ki Kalank Kathayen | Saga Of Courage, Sacrifice And Patriotism Against Mughal Empire + Sambhaji Maharaj Chhava | Bravery Story Of Chattarpati Shivaji Maharaj's Son Set Of 2 Books In Hindi(Paperback, Hindi, Medha Deshmukh Bhaskaran, Parshuram Gupt)

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9789355212290संभाजी महाराज की नजर महादजी की ओर जाती है। यह सही बातें कहने और करने का समय है। अभी वे जो करेंगे, वह उनके देश की नियति बदल देगा। वे मराठी में कहते हैं, ''महादजी, आबा साहिब ने हर सैनिक के जीवन का सम्मान किया। वे चाहते थे कि हम बेवजह शहादत से बचें और जीवित रहें, ताकि हम स्वराज के लिए, मराठा राष्ट्र के लिए एक और लड़ाई लड़ सकें, लेकिन उन्होंने कभी भी मराठा राष्ट्र के बदले में जीवन को गले नहीं लगाया होता।संभाजी महाराज फर्श पर एक ढेर की तरह गिर जाते हैं। वे जानते हैं कि कुछ ही दिनों में उनकी आँखें निकाल ली जाएँगी। लेकिन औरंगजेब बस इतना ही कर सकता है। संभाजी महाराज मराठों के दिलों में एक आग जला जाएँगे और वे दावानल में बदल जाएँगे, जो औरंगजेब के सपनों को जलाकर राख कर देंगे। युद्ध चलता रहेगा लेकिन वह कभी दक्कन नहीं जीत पाएगा।9789355210562प्रस्तुत पुस्तक भारतीय इतिहास के कुछ ऐसे दुर्दांत आक्रांताओं के कुत्सित कुकृत्यों पर प्रकाश डालती है | महमूद गजनवी के आक्रमण से पहले भारत में सूफियों को छोड़कर इसलाम का शायद ही कोई अनुयायी रहा हो | धर्म-परिवर्तन न करने पर जजिया कर लादा गया, जो कि मुगल काल तक चलता रहा |इस कालखंड में भारतीय संस्कृति को पददलित करने का हरसंभव प्रयास किया गया। इसमें नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय जलाने से लेकर अनेक मह्त्त्वपूर्ण मंदिरों व श्रद्धाकेंद्रों को ध्वस्त करना प्रमुख था। इन्हें न केवल ध्वस्त किया गया, बल्कि इन पर उन्होंने अपने उपासना-स्थलों का निर्माण भी किया | सिकंदर और उसके बाद 712 ई. से लेकर 1947 तक भारतवर्ष के लुठेरों की काली करतूतों के कारण भारत आअँधेरे के गिरफ्त में छटठपटाता रहा, लुठता रहा।